अश्वत नीलम शक्ति
अध्याय 1
भाग 1 = सपना
कहते हैं छोटा परिवार खुशहाल परिवार होता है लेकिन अगर इस छोटे से परिवार का एक भी सदस्य कम हो जाए तो सारी खुशियां एक पल में समाप्त हो जाती हैं। परिवार ही तो है जो लोगों के सुख-दुख का कारण बनता है। हमारी कहानी भी एक ऐसे ही परिवार के बारे में है।
एक छोटा सा परिवार जिसने हाल ही में एक छोटे से शहर में एक छोटा सा नया घर लिया। उनके पुराने घर का सारा ज़रूरी सामान उनके नए घर में शिफ्ट हो चुका था, यह नया घर उनके प्यारे बेटे अश्वत के जन्मदिन का तोहफा था जिसे वह दिल-ओ-जान से प्यार करते थे।
घर की सभी दीवारें हल्के-गहरे रंगों से पेंट की गई थीं इसलिए पूरे घर से नए नए पेंट की खुशबू आ रही थी, फर्श मखमली सफेद टाइलों से बना हुआ था जिसपर छोटे से सात साल के बच्चे, अश्वत, ने अपने फिसलते हुए पैरों को महसूस किया और उसने पूरे घर में इधर-उधर भाग कर फर्श पर फिसल कर देखा, इसमें हैरानी की कोई बात नहीं थी कि अश्वत को उसका नया घर पसंद आया था।
घर का कुछ फर्नीचर नया था तो कुछ फर्नीचर पुराना था जो पुराने घर से आया था जैसे हॉल की एक दीवार पर लटकी पुरानी घड़ी जो रात होते ही आम घड़ियों से ज्यादा शोर करती थी, अश्वत के माता-पिता का पुराना बेड जिस पर सोते समय करवटें लेने के कारण चरमराहट की आवाज़ें आराम से सुनी जा सकती थीं। अश्वत के पिता की ढेर सारी पुरानी किताबें और किताबों से लदी हुई एक बड़ी सी अलमारी, कुछ तांबे और चांदी के पुराने बर्तन आदि।
“यह किसका घर है, पापा” अश्वत ने बड़ी उत्सुकता के साथ अपने पिता से पूछा।
“ये..” उन्होंने घर की ओर देखा और फिर मुस्कुरा कर बोले यह हमारा नया घर है, बताओ कैसा लगा?”
“हमारा नया घर” अश्वत ने बड़ी हैरानी से अपने पिता की बात दोहराई।
“क्या हुआ! नया घर पसंद नहीं आया।”
“बहुत अच्छा है पापा, हम सब सच में यहीं रहेंगे”
अश्वत के इस सवाल का जवाब देने के लिए उसकी माँ अपने घुटनों के बल बैठकर उसका गाल खींचते हुए बड़े प्रेम से बोलीं “हाँ, शैतान, हम सब अब से यहीं रहेंगे और तुम्हें अपना कमरा नहीं देखना क्या?”
“मेरा कमरा” अश्वत ने बड़ी खुशी से पूछा
“कहाँ है?”
“ऊपर”
जवाब मिलते ही अश्वत किसी घोड़े की तरह अपने कमरे को देखने की उत्सुकता में तेजी से भागते हुए ऊपर गया।
भले ही उसके पिता ने उसे ऊपर आराम से जाने के लिए कहा था लेकिन वह बिना रुके जल्द से जल्द अपने कमरे तक पहुंचना चाहता था।
उसके कमरे में एक नया गद्देदार बेड पड़ा था जो उसके लिए काफी बड़ा था, कुछ कार्टूनों के पोस्टर दीवारों पर चिपके हुए थे और उसके कमरे में लगा हुआ नीले रंग का पंखा जो उसके लिए सबसे अनोखा था, उसके कमरे की एक दीवार पर एक बड़ा सा वन-मैन का पाॅस्टर लगा हुआ था, जो उस समय उसे सबसे अधिक प्रिय था और वह भी उसकी तरह ही बनना चाहता था इसलिए उसका पोस्टर देखकर उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
जब तक अश्वत अपना कमरा देख पाता तब तक उसके पिता भी ऊपर उसके कमरे में आ चुके थे।
उसके पिता ने हमेशा की तरह उसे हीरो बुलाते हुए बड़े प्रेम से पूछा “कमरा कैसा लगा, हीरो”
“बहुत बहुत बहुत अच्छा” उसने खुशी में कितनी बार बहुत बोला उसे भी पता नहीं चला, लेकिन वह बस इस असमंजस में था कि किताबों से लदी हुई वह अलमारी उसके कमरे में क्या कर रही थी जो उसके पिता की थी जिस पर भिन्न-भिन्न प्रकार की कई पुरानी किताबें रखी हुई थीं।
अश्वत बार-बार किताबों की ओर देख रहा था इसलिए इससे पहले वह कुछ पूछ पाता उसके पिता बोल पड़े
“ ओह! यह अलमारी यहां कैसे आ गई? अगर हमारे कमरे में जगह होती तो मैं अपने दोस्तों को अपने साथ ही रखता।”
“दोस्त”
“हाँ, दोस्त, यह जो किताबें होती हैं ना बेटा, हमारी सबसे अच्छी दोस्त होती है।
“और एक सीक्रेट बात बताऊँ” वह बहुत ही दबी हुई और रहस्यमई आवाज में बोले।
अश्वत ने बड़ी मासूमियत से अपना सिर हिलाया
“यह सारी किताबें मुझसे बातें करती हैं और तुमसे भी करेंगी, अगर तुम इन्हें अपना दोस्त बना लो तो।”
“अश्वत!” उन्हें अचानक एक खतरनाक चीखती हुई आवाज सुनाई दी, आवाज़ इतनी कर्कश भरी थी कि कानों को चुभ रही थी।
“अश्वत!” एक बार फिर से वह डरावनी आवाज सुनाई दी जो बार-बार अश्वत को बुला रही थी
अचानक पूरा घर हिलने लगा और अश्वत डर के मारे भागकर अपने पिता से चुंबक की तरह चिपक गया, सारा सामान इधर उधर बिखरने लगा, अलमारी से एक-एक कर सभी किताबें नीचे गिरने लगीं।
एक बड़ी सी चुड़ैल ने उनके घर की छत को अपने बड़े बड़े हाथों से उखाड़ फेंका, जब उन दोनों ने ऊपर देखा तब तक उनके सिर से छत गायब हो चुकी थी, सिर पर छत ना होने के कारण अब उस चुड़ैल का डरावना चेहरा साफ-साफ दिखाई दे रहा था, चुड़ैल काफ़ी हद तक अश्वत की मम्मी जैसी ही दिख रही थी।
अचानक उस चुड़ैल ने लपालप पानी से भरी हुई एक बड़ी सी टंकी का पानी उन दोनों के ऊपर पलट दिया।
आंखें खुलीं, अश्वत तेजी से झटपटाते हुए उठा, नींद टूट चुकी थी देखा तो यह मात्र एक सपना था। उठते ही उसकी नजरें अपनी माँ पर पड़ीं, जिनके हाथ में पानी से आधा भरा हुआ एक कांच का गिलास था।
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अभी कहानी जारी है.......
Ashwat ki mahan gatha |
अध्याय 1
भाग 1 = सपना
कहते हैं छोटा परिवार खुशहाल परिवार होता है लेकिन अगर इस छोटे से परिवार का एक भी सदस्य कम हो जाए तो सारी खुशियां एक पल में समाप्त हो जाती हैं। परिवार ही तो है जो लोगों के सुख-दुख का कारण बनता है। हमारी कहानी भी एक ऐसे ही परिवार के बारे में है।
एक छोटा सा परिवार जिसने हाल ही में एक छोटे से शहर में एक छोटा सा नया घर लिया। उनके पुराने घर का सारा ज़रूरी सामान उनके नए घर में शिफ्ट हो चुका था, यह नया घर उनके प्यारे बेटे अश्वत के जन्मदिन का तोहफा था जिसे वह दिल-ओ-जान से प्यार करते थे।
घर की सभी दीवारें हल्के-गहरे रंगों से पेंट की गई थीं इसलिए पूरे घर से नए नए पेंट की खुशबू आ रही थी, फर्श मखमली सफेद टाइलों से बना हुआ था जिसपर छोटे से सात साल के बच्चे, अश्वत, ने अपने फिसलते हुए पैरों को महसूस किया और उसने पूरे घर में इधर-उधर भाग कर फर्श पर फिसल कर देखा, इसमें हैरानी की कोई बात नहीं थी कि अश्वत को उसका नया घर पसंद आया था।
घर का कुछ फर्नीचर नया था तो कुछ फर्नीचर पुराना था जो पुराने घर से आया था जैसे हॉल की एक दीवार पर लटकी पुरानी घड़ी जो रात होते ही आम घड़ियों से ज्यादा शोर करती थी, अश्वत के माता-पिता का पुराना बेड जिस पर सोते समय करवटें लेने के कारण चरमराहट की आवाज़ें आराम से सुनी जा सकती थीं। अश्वत के पिता की ढेर सारी पुरानी किताबें और किताबों से लदी हुई एक बड़ी सी अलमारी, कुछ तांबे और चांदी के पुराने बर्तन आदि।
“यह किसका घर है, पापा” अश्वत ने बड़ी उत्सुकता के साथ अपने पिता से पूछा।
“ये..” उन्होंने घर की ओर देखा और फिर मुस्कुरा कर बोले यह हमारा नया घर है, बताओ कैसा लगा?”
“हमारा नया घर” अश्वत ने बड़ी हैरानी से अपने पिता की बात दोहराई।
“क्या हुआ! नया घर पसंद नहीं आया।”
“बहुत अच्छा है पापा, हम सब सच में यहीं रहेंगे”
अश्वत के इस सवाल का जवाब देने के लिए उसकी माँ अपने घुटनों के बल बैठकर उसका गाल खींचते हुए बड़े प्रेम से बोलीं “हाँ, शैतान, हम सब अब से यहीं रहेंगे और तुम्हें अपना कमरा नहीं देखना क्या?”
“मेरा कमरा” अश्वत ने बड़ी खुशी से पूछा
“कहाँ है?”
“ऊपर”
जवाब मिलते ही अश्वत किसी घोड़े की तरह अपने कमरे को देखने की उत्सुकता में तेजी से भागते हुए ऊपर गया।
भले ही उसके पिता ने उसे ऊपर आराम से जाने के लिए कहा था लेकिन वह बिना रुके जल्द से जल्द अपने कमरे तक पहुंचना चाहता था।
उसके कमरे में एक नया गद्देदार बेड पड़ा था जो उसके लिए काफी बड़ा था, कुछ कार्टूनों के पोस्टर दीवारों पर चिपके हुए थे और उसके कमरे में लगा हुआ नीले रंग का पंखा जो उसके लिए सबसे अनोखा था, उसके कमरे की एक दीवार पर एक बड़ा सा वन-मैन का पाॅस्टर लगा हुआ था, जो उस समय उसे सबसे अधिक प्रिय था और वह भी उसकी तरह ही बनना चाहता था इसलिए उसका पोस्टर देखकर उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
जब तक अश्वत अपना कमरा देख पाता तब तक उसके पिता भी ऊपर उसके कमरे में आ चुके थे।
उसके पिता ने हमेशा की तरह उसे हीरो बुलाते हुए बड़े प्रेम से पूछा “कमरा कैसा लगा, हीरो”
“बहुत बहुत बहुत अच्छा” उसने खुशी में कितनी बार बहुत बोला उसे भी पता नहीं चला, लेकिन वह बस इस असमंजस में था कि किताबों से लदी हुई वह अलमारी उसके कमरे में क्या कर रही थी जो उसके पिता की थी जिस पर भिन्न-भिन्न प्रकार की कई पुरानी किताबें रखी हुई थीं।
अश्वत बार-बार किताबों की ओर देख रहा था इसलिए इससे पहले वह कुछ पूछ पाता उसके पिता बोल पड़े
“ ओह! यह अलमारी यहां कैसे आ गई? अगर हमारे कमरे में जगह होती तो मैं अपने दोस्तों को अपने साथ ही रखता।”
“दोस्त”
“हाँ, दोस्त, यह जो किताबें होती हैं ना बेटा, हमारी सबसे अच्छी दोस्त होती है।
“और एक सीक्रेट बात बताऊँ” वह बहुत ही दबी हुई और रहस्यमई आवाज में बोले।
अश्वत ने बड़ी मासूमियत से अपना सिर हिलाया
“यह सारी किताबें मुझसे बातें करती हैं और तुमसे भी करेंगी, अगर तुम इन्हें अपना दोस्त बना लो तो।”
“अश्वत!” उन्हें अचानक एक खतरनाक चीखती हुई आवाज सुनाई दी, आवाज़ इतनी कर्कश भरी थी कि कानों को चुभ रही थी।
“अश्वत!” एक बार फिर से वह डरावनी आवाज सुनाई दी जो बार-बार अश्वत को बुला रही थी
अचानक पूरा घर हिलने लगा और अश्वत डर के मारे भागकर अपने पिता से चुंबक की तरह चिपक गया, सारा सामान इधर उधर बिखरने लगा, अलमारी से एक-एक कर सभी किताबें नीचे गिरने लगीं।
एक बड़ी सी चुड़ैल ने उनके घर की छत को अपने बड़े बड़े हाथों से उखाड़ फेंका, जब उन दोनों ने ऊपर देखा तब तक उनके सिर से छत गायब हो चुकी थी, सिर पर छत ना होने के कारण अब उस चुड़ैल का डरावना चेहरा साफ-साफ दिखाई दे रहा था, चुड़ैल काफ़ी हद तक अश्वत की मम्मी जैसी ही दिख रही थी।
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nice, keep writing
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