जिसमें लिखा था - आप लोगों को अब तक खाना बनाने और खाने का भरपूर समय दिया गया, जिसके लिए आपको मेरा धन्यवाद करना चाहिए। अब यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप इस घर का बिल्कुल अपने घर की तरह ही ध्यान रखें और इस घर में आने वाले मेहमानों को अपना ही मेहमान समझें इसलिए आप लोगों को मेरे सबसे प्रिय मेहमानों के लिए हॉल के डाइनिंग टेबल पर खाना लगाना है।
तुम्हारा प्रिय बुड्ढा - सुमित सक्सेना।
“ शायद यह तुम्हारी बात कर रहा है! ” अश्वत उस संदेश में लिखी बातों को समझते हुए नैना से बोला।
“ यह बुड्ढा अपने आप को भगवान समझता है क्या? इसको ऐसा मज़ा चखाऊँगी कि दोबारा मेरे हाथों का खाना नहीं मांगेगा। ” नैना भड़कते हुए पटर-पटर किसी षड्यंत्र के बारे में सोचते हुए बोली।
नैना ने गुस्से में सबसे पहले अश्वत द्वारा बनाई गई चाय में एक मुट्ठी मिर्च डाल दी। अचानक उसे रोकते हुए अश्वत बोला, “ तुम पागल हो गई हो क्या! तुम्हें पता है, इसके कितने बुरे परिणाम हो सकते हैं हमें इसकी सज़ा मिल सकती है। ”
“ सज़ा! इस घर में कैद रहने से ज्यादा बुरा और क्या हो सकता है। ” नैना
ने कहा।
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