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mangetar naina ashwat kotla house

 “ हेइ नैना! ” अचानक दरवाज़ा खुलते ही एक आवाज़ आई। दरवाज़े से नैना का मंगेतर अंदर आया, नैना को देखते ही जो मुस्कान उसके चेहरे पर खिली थी, वह अचानक कहीं लुप्त हो गई, उसने बड़ी हैरत से उन दोनों को देखा।


नैना के बाल भीगे हुए थे तथा शरीर पसीने से लथपथ था और अश्वत भी पसीने में डूबा हुआ दिख रहा था, वे दोनों कुछ क्षण पहले ही मौत के मुँह में जाते-जाते बचे थे, लेकिन अश्वत और नैना को उस बाथरूम में अकेला देख, वह उन दोनों के बारे में गलत सोचने लगा।


“ ओह्! तो इसलिए तुम यहाँ आई थीं। ” नैना के मंगेतर ने नैना को संदेह भरी दृष्टि से देखते हुए कहा।


“ क्या! ” नैना राहुल की बात को समझने का प्रयास ही कर रही थी, कि अचानक राहुल उस कक्ष को त्यागने के विचार से चल दिया।


नैना ने भागकर उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, “ राहुल तुम गलत समझ रहे हो, जो तुम सोच रहे हो हमारे बीच ऐसा कुछ भी नहीं है। ”


“ तो तुम लोगों ने ऐसी कौन सी मेहनत की है, जो तुम लोग इस तरह पसीने में भीगे हुए हो और वो‌ भी इस बाथरूम में। ” राहुल ने अविश्वास से कहा।


“ तुम्हें मुझ पर विश्वास है या नहीं। ” नैना ने दृढ़ता से पूछा, अब बात उसके आत्मसम्मान पर बनाई थी और उसके लिए अपने आत्मसम्मान से बढ़कर कुछ भी नहीं था।


“ अगर मैं तुम्हारी जगह होता और तुम मेरी जगह, तो शायद तुम भी मुझ पर विश्वास नहीं करतीं, लेकिन यह आखरी बार होगा जब मैं तुम्हें माफ कर रहा हूँ, तुम दोनों के बीच में क्या है, मैं यह नहीं पूछूँगा लेकिन मेरे लिए यह जानना बहुत ज़रूरी है कि तुम मुझसे प्यार करती हो या नहीं? ” राहुल ने स्वयं को शांत कर बड़े धैर्य से नैना से पूछा।


नैना के पास राहुल के प्रश्न का कोई स्पष्ट उत्तर नहीं था, क्योंकि नैना राहुल से उसके मां-बाप के कहने पर शादी कर रही थी और उसे राहुल से बातचीत शुरू की है अभी कुछ ही दिन हुए थे इसलिए उसने केवल हल्के से अपना सिर हिलाया और राहुल ने उतने में ही खुश होकर, उसे अपनी बाहों में भर लिया।


अश्वत ईर्ष्या से जल उठा और उस आदमी को अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझने लगा, वह उसके बारे में सब कुछ जानता था क्योंकि नैना ने उसे कई बार राहुल के बारे में बताया हुआ था, नैना का असली प्यार अश्वत ही था और यही उनका भविष्य था, लेकिन नैना इस सच्चाई को स्वीकार नहीं करना चाहती थी क्योंकि बाहरी दुनिया की यादें अभी भी उसके मन में ताजा थीं, जिन्हें वह एक झटके से त्याग नहीं सकती थी।


अश्वत क्रोध से राहुल की दृष्टि से दृष्टि मिलाए देख रहा था, इसलिए अश्वत को और अधिक जलाने के लिए राहुल ने अपनी भुजाओं को और अधिक कस लिया।


“ Let's go from here. ” अपनी बांहें ढीली कर राहुल ने नैना की आँखों में देखते हुए कहा। राहुल की बात सुनते ही अश्वत जोर-जोर से ठहाके लगाते हुए हँसने लगा, क्योंकि राहुल इस बात से अनभिज्ञ था कि जिस घर में वह प्रवेश कर चुका था, उस घर से बाहर निकलना अब उसके बस में नहीं था।


“ क्या यह पागल ऐसे ही हँसता है? ” राहुल ने नैना से बड़े हल्के स्वर में पूछा। लेकिन राहुल की बात सुनकर अश्वत की हँसने कि ध्वनि और अधिक हो गई, अब तो राहुल को अश्वत की हंसी से पुनः नैना पर संदेह होने लगा था।


“ यह आदमी मुझ पर ऐसा हँस क्यों रहा है और‌ यह है कौन? ” राहुल ने नैना से भड़कते हुए पूछा।


“ यह अश्वत है, मेरे बचपन का दोस्त। ” नैना ने उत्तर दिया।


“ बचपन का दोस्त या… बचपन का प्यार। ” राहुल ने क्रोध में अचानक नैना के ऐसा झापड़ मारा कि नैना का पूरा सिर हिल गया, अश्वत ने तुरंत आगे बढ़ कर नैना को अपनी बाहों में भर लिया और राहुल पर क्रोध से गुर्राया। नैना को ठीक देख, अश्वत ने अपनी वज्र समान मुठ्ठी कसते हुए, राहुल पर अत्यंत घातक प्रहार किया।


अश्वत के एक ही घूसे में राहुल ज़मीन पर गिर पड़ा, लेकिन अश्वत का गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ था, वह तो राहुल को एक लड़की पर हाथ उठाने के लिए अच्छे से सबक सिखाना चाहता था, लेकिन उसे सबक सिखाने के बीच में वह लड़की ही बाधा बन गई। अश्वत उसे मारने के लिए आगे बढ़ा लेकिन नैना ने बीच में आकर अश्वत को रोक लिया।


“ How dare you to do this? यह मेरा मंगेतर है और तुम सिर्फ मेरे दोस्त इसलिए अपनी औकात में रहो। ” नैना अश्वत को डाँटते हुए बोली।


“ कौन क्या है यह तो तुम भी अच्छे से जानती हो, इसलिए मुझे बताने की जरूरत नहीं है। ” अश्वत ने कहा।


“ इससे पहले यह आदमी पूरा पागल हो जाए, चलो यहाँ से चलते हैं। ” राहुल ने कहा क्योंकि वह अश्वत के एक घूंसे से ही समझ गया कि वह अश्वत से नहीं जीत सकता था, उसके होंठों के किनारे से खून निकल रहा था। इससे पहले अश्वत उसे और पीटता, उसने नैना को अपनी ढाल बनाना ही उचित समझा, राहुल ने उठते ही नैना का हाथ पकड़ा और उस दरवाज़े की तरफ बढ़ा, जिस दरवाज़े से वह उस कक्ष में आया था।


दरवाज़ा खोलते ही वे दोनों पागल जिन्होंने नैना को मारने का प्रयास किया था, वे दोनों उनके सामने खड़े थे। उनमें से एक ने तो नैना के सामने ही एक पुलिस वाले को घायल भी कर दिया था और उसके बाद वह नैना को मारने के लिए, उसके पीछे ही पड़ गया था, लेकिन दाढ़ी-मूँछ वाले अश्वत ने उसे बचा लिया था।


उन्हें देखते ही नैना भाग खड़ी हुई, उसने राहुल का हाथ पकड़ा और उस कक्ष के अन्य दरवाज़े से भागने का प्रयास किया लेकिन समस्या यह थी कि उस बाथरूम में केवल बाहर जाने का एक ही मार्ग था, जिसे उस पागल सनकी और उसके प्रतिरूप ने घेरा हुआ था।


नैना इस क्षण उस कक्ष में तीन चार दरवाज़े होने की व्यर्थ कल्पना कर रही थी और राहुल तो आश्चर्यचकित था, द्वार पर खड़े वे दोनों पागल जुड़वा भाई लग रहे थे, एक के माथे से खून बह रहा था तो दूसरे के माथे पर उसी जगह पर उसी चोट का निशान था।


वे दोनों देखने से ही खूनी दरिंदे लग रहे थे, मानो किसी जेल से भाग कर आए हों। बड़ी-बड़ी दाढ़ी-मूँछें जिसमें धूल मिट्टी के कण और भोजन के छोटे-छोटे टुकड़े फंसे हुए थे, शक्ल सूरत इतनी गंदी दिख रही थी जैसे बरसों से नहाया नहीं हो।


वे दोनों कक्ष में प्रवेश करने के लिए एक साथ अंदर बढ़े, लेकिन दोनों के कंधे टकरा गए और वह पुनः रुक गए, इन दोनों में से जिसकी उम्र अधिक थी, उसने अपने प्रतिरूप को क्रोध से घूरकर कक्ष में उसके बाद में प्रवेश करने की चेतावनी दी और उसके बाद स्वयं कक्ष में पहले प्रवेश किया।


उन्हें अंदर आता देख नैना की धड़कनें तीव्र हो गईं, हृदय भय से पुनः हिचकोले खाने लगा, उसके कदम स्वयं पीछे हटते चले गए, राहुल उससे भी बड़ा डरपोक था, वह कायरों की भाँति नैना के पीछे ही खड़ा रहा।


“ अब यह लोग कौन हैं? ” राहुल ने घबराकर पूछा।


“ बस इतना समझ लो हमारी बैंड बजने वाली है। ” नैना ने फटाक से उत्तर दिया।


अश्वत नैना की रक्षा करने के लिए, उनके सामने खड़ा हो गया आकर। जितना प्रेम अश्वत नैना से करता था, उतना प्रेम नैना से राहुल कभी नहीं कर सकता था, वह तो एक कायर था, जो एक लड़की के पीछे छुपा हुआ था।


“ सामने तो ऐसे खड़ा हो गया आकर जैसे खुद को हीरो समझता हो। ” राहुल ने ताना मारते हुए कहा, अश्वत ने उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया क्योंकि अगर लिया होता तो राहुल अभी सही सलामत खड़ा नहीं होता।


अश्वत लड़ाई के लिए सज्ज था, उसका पूरा ध्यान एकटक उस चाकू पर बना हुआ था, एक तगड़ा धक्का झेलने के, उसने अपना एक पैर पीछे किया और स्वयं को स्थिर कर लिया।


वह चाकूधारी अपने चाकू से अश्वत के सीने पर प्रहार करने के लिए आगे बढ़ा, लेकिन‌ जैसे ही उस सनकी ने अश्वत पर हमला किया अश्वत ने उसका हाथ पकड़ कर मरोड़ दिया और ऐसा करते ही उस सनकी के हाथ से चाकू छूट कर फर्श पर गिर गया।


दूसरे ही पल उस सनकी के प्रतिरूप ने जिसके माथे से खून बह रहा था, तीव्रता से लपकते हुए उस चाकू को उठाने का प्रयास किया, लेकिन अश्वत ने अपने पैर से चाकू को दूसरी तरफ खिसका दिया।


उस प्रतिरूप ने अश्वत कि कमर को अपनी बाज़ू में पकड़ कर, धक्का देते हुए गिरा दिया, अश्वत के गिरते ही उसके हाथ की पकड़ ढीली पड़ गई और उस सनकी का हाथ अश्वत के हाथ से छूट गया।


वे लोग अपनी लड़ाई में व्यस्त थे कि राहुल ने नैना के‌‌ साथ उस कक्ष से भाग निकलने का विचार किया, इसलिए उसने नैना का हाथ पकड़कर खींचते हुए बाहर निकलने का प्रयास किया लेकिन नैना ने अपना हाथ झटकते हुए राहुल के हाथ से छुड़ा लिया, वह अश्वत को ऐसे अकेला छोड़कर नहीं जा सकती थी।


अश्वत को ज़मीन पर गिराने के बाद, वह प्रतिरूप उसके ऊपर चढ़ गया और अश्वत का गला दबाने का प्रयास करने लगा, इधर वह सनकी अपना चाकू उठाने के लिए भागा, तभी नैना ने उसके सामने आकर उसे एक ज़ोरदार धक्का दिया, नैना के धक्के से वह तुरंत ज़मीन पर गिर पड़ा, भले ही वह सनकी लड़ाई में बहुत फुर्तीला था लेकिन शारीरिक रूप से वह बहुत निर्बल था। नैना को विश्वास नहीं हुआ कि उसके मात्र हल्के से धक्के से ही वह आदमी ज़मीन पर जा गिरा, इसके बाद नैना का आत्मविश्वास आसमान छूने लगा।


इधर अश्वत ने अपने ऊपर चढ़े उस प्रतिरूप को अपने ऊपर से हटाने के लिए, उसके माथे पर एक मुक्का मारा जहाँ से उसका खून बह रहा था। मुक्का पड़ते ही वह प्रतिरूप अपनी चेतना को बैठा और बेहोश होकर गिर पड़ा।


अपने प्रतिरूप को बेहोश होता देख, वह सनकी वहाँ से भाग निकला, राहुल द्वार पर ही खड़ा था, वह चाहता तो उसे भागने से रोक सकता था, लेकिन वह किसी प्रकार की झंझट में नहीं पड़ना चाहता था, इसलिए उसने उस सनकी को वहाँ से जाने दिया।


एक सनकी कक्ष छोड़कर भाग चुका था लेकिन अभी दूसरा उसी कक्ष में बेहोश पड़ा था, अश्वत ने देखा उसके मुक्के के प्रहार से उस सनकी के माथे से खून बहने की गति बढ़ गई थी, यदि ऐसे ही उसका खून बहता रहता तो उसके प्राण भी जा सकते थे। अश्वत को उसकी चिंता होने लगी, वह उसको होश में लाने की कोशिश करने लगा।


नैना और राहुल इस उलझन में खड़े यह समझने की कोशिश कर रहे थे की अश्वत को उस आदमी की इतनी चिंता क्यों हो रही थी, जबकी कुछ क्षण पहले वही आदमी उसे मारने का प्रयास कर रहा था।


अश्वत भागकर बाथटब से अपनी अंजलि में थोड़ा सा पानी भरकर लाया और उस सनकी पर छिड़कते हुए उसे होश में लाने का प्रयास किया, लेकिन वह होश में नहीं आया। उसे इलाज की आवश्यकता थी और उसका इलाज करने वाला उस घर में एक ही डॉक्टर था, जो कोटला हाउस में अपना निःशुल्क मिनी हॉस्पिटल चला रहा था।


“ अगर इसका खून ऐसे ही बहता रहा तो यह मर जाएगा। ” अश्वत ने नैना से कहा, लेकिन नैना तो उलझन में खड़ी यह सोच रही थी‌ कि उस घर में वे लोग उसे बचाने के लिए कर ही क्या सकते थे, क्योंकि नैना यह नहीं जानती थी कि उस घर में एक मिनी हॉस्पिटल भी था, किंतु उस मिनी हॉस्पिटल तक पहुँचना नियति के हाथ में था, लेकिन अश्वत ने भी उस घर में बिना प्रयास के परिणाम की कल्पना करना छोड़ दिया था।


उस दरवाज़े की तरफ बढ़ा और उसे खोल कर देखा, दरवाज़ा एक खाली कक्ष में खुला। उसने दरवाज़ा बंद किया और फिर से खोल कर देखा, इस बार दरवाज़ा एक तहखाने में खुला जो हल्के अंधेरे में डूबा हुआ था। उसने फिर से दरवाज़ा बंद कर दिया और पुनः खोल कर देखा।


हर बार दरवाज़ा खुलने के बाद, उसके पीछे का दृश्य ही बदल जाता था, भले ही नैना और अश्वत के लिए यह सब सामान्य था, लेकिन राहुल ऐसा विचित्र दृश्य पहली बार देख रहा था।


लेकिन उसे यह सब देख कर डर नहीं लगा, बल्कि वह तो प्रसन्न हो उठा, क्योंकि अभी वह इस बात से अनजान था की उस घर से जीवित बाहर निकलना उसके अब भाग्य में नहीं था। ऐसा अद्भुत चमत्कार उसने अपने जीवन में पहली बार देखा था, वह अश्वत के बगल में आकर खड़ा हो गया और पूछा, “ How are you doing this. it's a miracle. ”


राहुल को लगा यह सब अश्वत कर रहा था, उसके विचार से अश्वत हाथों में कुछ देवीय शक्तियाँ थीं, जिसके कारण उसके लिए ऐसा कर पाना संभव हो पा रहा था।


“ Can i, Can i do this? ” राहुल ने उत्सुकता से पूछा।


“ अबे, अंग्रेज! पहले यह बता, तू यहाँ आया कैसे, जो इतना चौंक रहा है? ” अश्वत ने भड़के हुए स्वर में पूछा।


“ वो मैं… ” राहुल अपनी कहानी सुनाने को अधीर था, क्योंकि वह नैना को यह जताना चाहता था कि वह उससे कितना प्रेम करता था और कैसे उसे ढूँढते - ढूँढते कोटला हाउस आ पहुँचा था, लेकिन अश्वत को उसकी कहानी सुनने में कोई रुचि नहीं थी।


“ चुप कर! ” राहुल के मुँह खोलते ही अश्वत उस पर चीख पड़ा। अश्वत का दिमाग पहले से ही गर्म था, जिसे राहुल खौलाने का कार्य कर रहा था। अश्वत के चीखते ही राहुल तुरंत शांत हो गया क्योंकि उस देवीय शक्तियों वाले मनुष्य से वह पुनः पिटना नहीं चाहता था।


“ आखिर तुम करना क्या चाहते हो? ” नैना ने अश्वत द्वारा बार-बार दरवाज़ा खोल-बंद करने की गतिविधि का कारण समझने के लिए पूछा।


“ दयाल सिंह को इलाज की जरूरत है, इसलिए मैं इसे मिनी-हॉस्पिटल ले जाने के लिए बार-बार दरवाज़े खोल रहा हूँ। ”


“ तुम इस आदमी का नाम भी जानते हो और इस घर में एक हॉस्पिटल भी है। अभी कितने रहस्य खुलने बाकी हैं, भगवान जाने! ” 


एकाएक ऐसा संयोग हुआ की इस बार दरवाजा मिनी हॉस्पिटल में के कक्ष में खुला, अशोक बार-बार एक ही गतिविधि दोहराने के कारण इस बार भी दरवाजा बंद करने ही वाला था कि उसने स्वयं को रोक लिया।


“ नैना दरवाज़ा पकड़ो आकर। ” नैना तुरंत अश्वत के पास पहुँचकर दरवाज़ा रोक कर खड़ी हो गई, ताकि दरवाज़ा स्वयं बंद ना हो जाए।


अश्वत ज़मीन पर पड़े उस अचैतन्य व्यक्ति को, जिसका नाम दयाल सिंह बिष्ट था, अपनी बाजुओं में उठाकर, उसे मिनी हॉस्पिटल के कक्ष में उस डॉक्टर के पास ले गया, जो हमेशा उस कक्ष में उपलब्ध रहता था।


डॉक्टर अपने काउंटर पर बैठा कुछ सोच रहा था कि अचानक उन लोगों के अंदर प्रवेश करते ही, वह खड़ा हो गया।


“ हेलो अश्वत! काफी दिनों के बाद दिखाई दिए, वैसे इसे क्या हुआ। ” डॉक्टर ने अश्वत कि गोद में दयाल सिंह को बेहोशी की हालत में देखा।


“ ओह, यह तो वही चोट है। ” डॉक्टर ने हैरानी से कहा।


“ हाँ वही है। ” अश्वत ने तुरंत डॉक्टर की हाँ में हाँ मिलाई, वे दोनों जानते थे कि इस चोट का निशान दयाल सिंह के माथे पर हमेशा रहने वाला था, जो चोट अश्वत के साथ लड़ाई के दौरान ही उसे लगी थी।


“ इसे वहाँ लिटा दो। ” डॉक्टर ने अश्वत को संकेत करते हुए, मिनी हॉस्पिटल के दोनों बेडों में से किसी भी एक बेड पर उसे लिटाने को कहा। नैना अश्वत के पीछे ही खड़ी थी अश्वत के हटते ही डॉक्टर की नज़र नैना और राहुल पर पड़ी।


कुछ पल के लिए नैना को देखकर डॉक्टर अपनी पलकें झपकाना भी भूल गया, क्योंकि उस घर में आज तक नैना को जितनी बार भी उसने देखा था, वह इतनी आकर्षक कभी नहीं थी जितनी आज दिख रही थी। उसका यौवन अपने चरम पर था, अति आकर्षक काया और चेहरे की अद्भुत चमक ने डॉक्टर के होश उड़ा दिए।


वह अक्सर लड़कियों को काफी देर तक निहारता था और उन्हें बिना छुए रह नहीं सकता था इसलिए उसने नैना से हाथ मिलाने के लिए, अपना हाथ आगे बढ़ाया।


“ आज काफ़ी अलग रही हो। ” डॉक्टर ने कहा। नैना के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान खिल गई और वह भी उससे हाथ मिलाने ही वाली थी कि अश्वत डॉक्टर को खींच ले गया।


“ कमाल है! ” राहुल ने आश्चर्यचकित भाव से कहा और नैना से बोला, “ यह आदमी हमें कोटला हाउस से सीधा शहर के किसी हॉस्पिटल में ले आया, इसके जादू से तो मुझे डोरेमोन का एनीव्हेयर डोर याद आ गया। ”


“ तुम्हें याद है ना डोरेमोन। ” राहुल ने नैना से पूछा, वह अपने बचपने में डूबा हुआ था और इधर नैना उस डॉक्टर के परीक्षण को देख रही थी। डॉक्टर बेड पर पड़े उस सनकी के सीधे हाथ की कलाई को अपनी दो उँगलियों से दबाकर, नाड़ियों की गति का अन्वेषण कर रहा था।


राहुल को ऐसा लगा जैसे नैना डोरेमोन के बारे में कुछ भी नहीं जानती थी या संभव था वह उसके बारे में भूल चुकी थी, इसलिए उसे याद दिलाने के लिए वह उसे जोर देकर समझाने लगा, “ अरे वही डोरेमोन जो अपनी पॉकेट से कोई भी गैजेट… ”


“ हाँ, हाँ, मुझे याद है! ” नैना ऊँचे स्वर में बोली, उसकी आवाज़ से डॉक्टर का ध्यान भंग हो गया, लेकिन वह पुनः अपने कार्य में लग गया।


“ राहुल देखो बच्चों वाली बातें मत करो, प्लीज! थोड़ी देर चुप रहो। ” नैना ने राहुल से आग्रह करते हुए उसे चुप रहने के लिए कहा। “ और हाँ, हम अभी भी कोटला हाउस में ही हैं। ”


डॉक्टर ने सब कुछ सामान्य महसूस किया, लेकिन अपने चेहरे पर ऐसे भाव बनाकर रखे जैसे कोई परेशानी वाली बात हो।


“ क्या हुआ डॉक्टर! कोई प्रॉब्लम है क्या? ” अश्वत ने चिंता से पूछा।


“ चिंता की कोई बात नहीं है। ” डॉक्टर ने उत्तर दिया। “ मुझे लगता है इसने कई दिनों से कुछ खाया नहीं है और अगर ऐसा ही चलता रहा तो यह मर जाएगा, लेकिन हम सभी अच्छे से जानते हैं कि यह अब तक मरा नहीं है और न ही इतनी आसानी से मरने वाला है, तो चिंता इसे नहीं बल्कि तुम लोगों को करनी चाहिए। ”


डॉक्टर के मन में काफी देर से एक संदेह घूम रहा था, जो वह दूर करना चाहता था, वह राहुल के नाम से परिचित अवश्य था, क्योंकि उसने नैना और अश्वत से कई बार उसके बारे में सुना था, लेकिन कभी देखा नहीं था और आज वह पहली बार उसे देख रहा था।


“ यह कौन है? ” डॉक्टर ने पूछा।


“ आप मुझे जानते हैं, पर इन्हें नहीं जानते! How? ” नैना ने आश्चर्य से पूछा।


“ यह वही गधा है। ” अश्वत ने उस डॉक्टर का संदेह दूर करते हुए कहा, अश्वत द्वारा कहे गए ‘गधे’ शब्द से डॉक्टर का संदेह क्षण भर में दूर हो गया। अश्वत केवल एक ही व्यक्ति को गधा कहकर संबोधित करता था और वह ओर कोई नहीं बल्कि नैना का मंगेतर ही था, अर्थात राहुल ही गधा था और यह बात डॉक्टर अच्छे से जानता था।


“ ओह! ओके, ओके तो यह राहुल है। ” डॉक्टर मुस्कुराते हुए बोला। अश्वत द्वारा कई बार उसे गधा कहने के कारण डॉक्टर के मन में भी राहुल की छवि कुछ ऐसी ही बन गई थी कि वह भी उसे देख कर यूँ ही हंसे जा रहा था।


तुम लोगों को क्या लगता है मैं गधा हूं अरे मैं गधा हूं तू तू भी गधा है, ऐसा कोई हॉस्पिटल होता है क्या, ऐसा लग रहा है जैसे मेडिकल शॉप और ऑपरेशन थिएटर को एक साथ जोड़ दिया हो,


“ Nice to meet you, लेकिन अब तुम लोगों को यहाँ से चलना चाहिए क्योंकि तुम सब इसकी आदत जानते ही हो, अपनी आदत से मजबूर यह उठते ही वायलेंट हो जाएगा और तुम सब पर हमला करने लगेगा। ”


“ लेकिन सिर्फ हम पर ही क्यों, आप पर भी तो हमला कर सकता है? ” नैना ने पूछा। यही प्रश्न राहुल के मन में भी था लेकिन उससे पहले नैना ने पूछ लिया, यह प्रश्न पूछ कर वह नैना के सामने बड़प्पन दिखाना चाहता था, लेकिन उसके हाथ से यह मौका जा चुका था।


“ सही कहा, सिर्फ हम पर ही क्यों, यह तुम पर भी तो हमला कर सकता है? ” राहुल ने भी नैना की बात गंभीर स्वर में दोहरा दी।






मैंने तुमसे कितनी बार कहा है, तुम्हारा शिकार नैना नहीं बल्कि अश्वत है, जब तक तुम अश्वत को नहीं मारोगे तब तक तुम इस घर से कभी आजाद नहीं हो पाओगे। नैना को मारने से तुम्हें कुछ नहीं मिलने वा

ला। अगर बार-बार अश्वत पर हमला करोगे, तो इसी तरह तुम्हें बार-बार हराता रहेगा।


मुझे लगता है तुम अकेले काफी नहीं हो, उसे मारने का एक ही तरीका है अपनी सेना तैयार करो।




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