सारांश
कोटला हाउस: रहस्यों का आरंभ
यह एक ऐसे विचित्र और चमत्कारी घर की कहानी है जो भूतिया नहीं बल्कि अत्यंत रहस्यमई है। एक ऐसा घर जिसके भीतर जाने वाले लोग कभी बाहर नहीं आ पाते, वे जीवन भर के लिए उसी घर में कैद हो जाते थे।
कहते हैं वह घर दो सदियों से भी अधिक पुराना था, जिसका निर्माण 18वीं शताब्दी में ‘आदित्य नारायण कोटला’ ने करवाया था, जिनके नाम पर ही उस घर का नाम ‘ कोटला हाउस ’ पड़ा था।
अश्वत और नैना इस कहानी के मुख्य किरदार हैं जो उस घर में हमेशा- हमेशा के लिए कैद हो जाते हैं। उस घर के अंदर जाने के बाद उन्हें पता चलता है कि उस घर में भूत नहीं बल्कि कई जीवित मनुष्य कैद थे। लेकिन नैना की मृत्यु तथा अपना आधा जीवन उस घर में गुजारने के बाद, अश्वत उस घर से बाहर निकलने के अथक प्रयत्न करता है जिसके बाद अंत में वह उस मनहूस घर से स्वतंत्र हो जाता है।
केवल अश्वत ही था जो उस घर से बाहर निकल पाया, जो चोदह वर्ष की आयु में उस घर में गया था और कई वर्षों के बाद पूरा एक दाढ़ी मूँछों वाला आदमी बनकर बाहर आया।
यह कहानी तीन भागों में विभाजित है और यह पहला भाग है जिसका नाम है “ कोटला हाउस: रहस्यों का आरंभ। ”
लेखक का परिचय
नाम - सुमित सक्सेना
पहली किताब - मौत की दीवार
शिक्षा - बी. ए. प्रोग्रामिंग
जीवन में एक अच्छा लेखक बनने की आकांक्षा है और अपने विचारों तथा अपनी कहानियों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाना ही मेरा सर्वोपरि लक्ष्य है। मैं स्वयं अपनी किताबें अथक परिश्रम के साथ बेचना चाहता हूँ, इसलिए मुझे आपकी सहायता और सहयोग की आवश्यकता है।
धन्यवाद
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