अमन ने देखा कि उस बाथरूम का दरवाज़ा स्वयं बंद हो चुका था, उसने तीव्रता से द्वार खोला और द्वार खोलते ही सागर उसके सामने खड़ा था, संभवतः वह भी अमन को ही ढूँढ़ रहा था। सागर को देखते ही अमन का चेहरा खिल उठा, ऐसा लगा जैसे भगवान ने उसकी बात सुन ली हो, वे दोनों अब पुनः एक दूसरे के साथ थे। सागर कि हालत ऐसी लग रही थी जैसे उसकी किसी के साथ भयानक कुश्ती हुई हो, उसके कपड़े अस्तव्यस्त दिख रहे थे, बाल बिखरे हुए थे और चेहरा लाल पड़ चुका था।
अमन को देखते ही सागर ने उसे अपने गले लगा लिया, लेकिन जैसे ही सागर का मेल-मिलाप पूरा हुआ, अमन ने उसकी हालत देखते हुए उससे पूछा, “ तुम्हारी ऐसी हालत कैसे हुई? लगता है किसी ने जमकर बैंड बजाई है तुम्हारी! ”
“ मेरी छोड़िए! आपको क्या हुआ है और ये खून कैसे निकल रहा है? ” सागर ने अमन के प्रश्न कि उपेक्षा कर, खून से भीगी उसकी कमीज़ देखते हुए बड़ी चिंता से पूछा। सागर अमन को सहारा देने के विचार से आगे बढ़ा, लेकिन अमन ने उसे अपने हाथ के इशारे से रोक दिया।
“ तुम्हें क्या लगता है, मैं इतना कमज़ोर हूँ। ” अमन ने सागर के मन में उपजे विचार को भाँपते हुए कहा।
“ सर, आपकी हालत खराब लग रही है और... और यह सब हुआ कैसे? ” सागर ने विचलित होकर पूछा।
“ पता नहीं वो कौन था, तुम्हें ढूढ़ते हुए मैं एक बड़े से हॉल में पहुंचा जहां वह सभी लापता बच्चे पहले से ही मौजूद थे और उनके साथ एक लड़की भी थी जिसकी उम्र चौबे 25 के आसपास लग रही थी, फिर अचानक वहां एक अजीब सा आदमी आया कोई पागल था शायद उसी ने मुझे घायल किया लेकिन मुझे घायल करने के बाद वह उस लड़की के पीछे पड़ गया जो उन बच्चों के साथ थी। मुझे लगता है वो उसे जान से मारना चाहता था। ” अमन ने बात करते हुए ध्यान दिया कि बाथरूम से बाहर आने के बाद, अब वह उस विशाल हॉल में नहीं बल्कि किसी अन्य स्थान पर खड़ा था। उस घर में ऐसी अजीब घटना उसके साथ दूसरी बार घटित हो रही थी, जब द्वार के पीछे का स्थान बदल चुका था।
“ आप कौन सी लड़की की बात कर रहे हैं और उन बच्चों का क्या हुआ? वे सुरक्षित हैं या नहीं? ” सागर ने पूछा।
“ पता नहीं! लेकिन उन बच्चों में मुझे एक बड़ी अजीब बात लगी, किसी की भी चेहरे से ऐसा नहीं लग रहा था जैसे उन्हें किडनेप किया गया हो और ना ही ऐसा लग रहा था कि 9 महीने से लापता ह। लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा है कि इस घर में चल क्या रहा है। ” अमन ने बात करते-करते अपने किसी संदेह को दूर करने के लिए बाथरुम के द्वार को पुनः खोलकर देखा, जैसे ही उसने द्वार खोला एक भयानक खूंखार शेर उसके सामने खड़ा था। द्वार खुला देख वह शेर दहाड़ते हुए अमन की ओर लपका, स्वयं पर खतरा आता देख अमन ने सरपट द्वार बंद कर दिया और वे दोनों डर कर उस द्वार से चार कदम पीछे हट गए। वे दोनों कुछ क्षणों तक उस द्वार को ऐसे घूरते रहे जैसे उस शेर की प्रतीक्षा कर रहे हों, परंतु न तो वह शेर बाहर आया और न ही पुनः उसकी कोई ध्वनि सुनाई दी।
“ यह कैसे हो सकता है! हर बार दरवाजा बंद होने के बाद जगह बदल जाती है। यह सब सच में हो रहा है या फिर मैं कोई सपना देख रहा हुँ। ” अमन ने बड़े अशांत भाव से पूछा। धीरे धीरे उस मायावी घर के रहस्यों ने उसे चकित करना प्रारंभ कर दिया था। सागर भी उस घर की माया को समझ चुका था, किन्तु उनके लिए इस सब पर विश्वास करना थोड़ा कठिन हो रहा था।
“ शायद अब आप समझ गए होंगे कि मैं इस घर में आने से आपको क्यों रोक रहा था। ” सागर ने प्रत्युत्तर दिया।
जिस स्थान पर अब वे दोनों थे संभवतः वह कोई कक्ष नहीं था, किंतु वहाँ एक तरफ काँच कि एक विशाल खिड़की थी, तो दूसरी तरफ एक दीवार थी जिस पर आदित्य नारायण कोटला की एक भव्य और अति विशाल पेंटिंग लगी हुई थी। उस गलियारे में आमने-सामने दो दरवाज़े थे।
दीवार पर लगी उस भव्य पेंटिंग को देख अमन ने पूछा, “ यह कौन है? ”
“ आदित्य नारायण कोटला। ” सागर ने उत्तर दिया।
“ तुम्हें कैसे पता? ” अमन ने हैरानी से पूछ।
“ पेंटिंग के नीचे लिखा है। ” सागर ने फटाक से उत्तर दिया।
“ हाँ वो तो मुझे भी पता है! पर देखने से तो ऐसा लगता है जैसे कोई राजा महाराजा था। ”
“ हाँ! लगता तो ऐसा ही है। ” सागर ने सहमति जताई।
अचानक अमन के चेहरे पर एक पीढ़ा का भाव उभरा और उसने कमीज़ को ऊपर कर अपने घाव पर एक नज़र मारी। हाथ हटाते ही खून पुनः बहने लगा, लेकिन अब खून बहने की गति पहले से बहुत कम हो चुकी थी।
“ आपको काफी दर्द हो रहा होगा और लगता है खून भी काफी बह चुका है। हमें यहाँ से बाहर निकलने का रास्ता ढूँढ़ना चाहिए। ” सागर उम्मीद से बोला।
“ मुझे नहीं लगता कि हम इतनी आसानी से यहाँ से निकल पाएंगे। ” अमन स्वयं में ही विचार करते हुए बोला। तभी अचानक उसकी नज़र फर्श पर पड़ी कुछ किताबों सहित एक गुलाबी रंग के स्कूल बैग पर पड़ी, जिसे उसने कुछ समय पूर्व अश्वत के कंधो पर झूलते देखा था।
“ यह बैग तो उस बच्चे का है! ” अमन उस बैग को उठाकर आश्चर्य से बोला।
सागर बोला, “ मैंने भी कुछ देर पहले उनमें से एक बच्चे को देखा था, यह बैग उसी का है। एक दाढ़ी वाला आदमी उसे जान से मारने की कोशिश कर रहा था। उसे बचाने की कोशिश में मेरी ऐसी हालत हो गई, लेकिन हमारी हाथापाई के दौरान वह बच्चा यहाँ से भाग निकला और उसके बाद वह आदमी भी एक दरवाज़े से भाग गया, लेकिन मैंने उसे पकड़ने के लिए जैसे ही दरवाज़ा खोला, मेरे सामने आप खड़े थे। ”
“ सिर्फ यह घर ही नहीं, यहाँ के लोग भी बहुत अजीब हैं। एक उस लड़की को मारना चाहता था तो एक उस बच्चे को, समझ नहीं आ रहा की यहाँ हो क्या रहा है। ” अमन उस मायावी घर पर भड़कते हुए बोला।
अमन ने पूर्व दिशा की और मुड़कर देखा तो उसके सामने काँच कि एक विशाल खिड़की थी, उस घर से बाहर दृष्टि डालने के लिए, वह उस खिड़की की तरफ बढ़ा, सामने ऊँचे-ऊँचे व विशाल वृक्षों की आड़ के कारण दूर तक देख पाना संभव नहीं था। नीचे देखने पर पता चला की वे दोनों एक मंज़िल ऊपर खड़े थे। अमन आश्चर्यचकित रह गया, वह नहीं जानता था कि वह ऊपर कब आया था, बल्कि सागर को ढूँढ़ने के लिए वह एक मंजिल नीचे गया था। उसे ऐसा लग रहा था जैसे नीचे कोई खुफिया तहखाना था, परंतु खोदा पहाड़ निकला डायनासोर, उस द्वार के पीछे उस घर का दूसरा हॉल था, जो प्राथमिक हॉल से भी बड़ा था।
“ मेरे सामने ही वह आदमी उस बच्चे को उठाकर ले गया था। ” अमन ने कहा और कुछ देर शांत रहने के बाद खिड़की से बाहर देखते हुए आगे बोला, “ शायद! तुम सही थे। मुझे लगता है, यह घर मायावी है! ”
सागर कुछ कठोरता से बोला, “ मैंने आपसे पहले ही कहा था कि हमें इस घर में नहीं आना चाहिए था, लेकिन आपने मेरी बात नहीं मानी। डर हमेशा अंधविश्वास नहीं होता, उसका एक कारण होता है। लेकिन आपको उस कारण पर विश्वास नहीं था। ”
अपनी गलती का पछतावा तो स्वयं अमन को भी हो रहा था, लेकिन दूसरों के सामने अपनी गलती को स्वीकार करना उसकी आदत में नहीं था, इसलिए वह चुपचाप खड़ा रहा, क्योंकि अभी वह किसी प्रकार कि बहस के मूड़ में नहीं था।
कुछ देर खिड़की से बाहर देखने पर, अचानक उनका ध्यान जंगल के भीतर आती हुई एक काली गाड़ी ने खींचा। कुछ ही समय में वो गाड़ी कोटला हाउस के बाड़े के पास आकर रुक गई।
उस गाड़ी से पहले गोलू बाहर निकला, जिसे देखते ही उन दोनों ने एक दूसरे को हैरानी से देखा, गोलू ने चारों तरफ बड़ी सतर्कता से देखते हुए गाड़ी का दरवाज़ा खोला। उस गाड़ी से एक आदमी बाहर निकला जिसे देखते ही सागर आश्चर्य से बोला, “ रामचंद्र! ये तो सच में ज़िंदा है। ”
रामचंद्र का साला भी उसके साथ ही था। एक वृद्ध व्यक्ति कोटला हाउस से निकल कर रामचंद्र कि गाड़ी तक जा पहुँचा और उसने जाते ही सबसे पहले रामचंद्र से हाथ मिलाया, ऐसा लग रहा था जैसे वर्षों पुराने मित्र मिल रहे हों।
“ ये बुड्ढा कौन है? ” अमन ने पूछा। वो वृद्ध व्यक्ति वही था जिसने नैना और रचित को कोटला हाउस में कैद किया था, किंतु उसके बारे में कोई नहीं जानता था।
“ पता नहीं। ” सागर ने उत्तर दिया।
वो वृद्ध व्यक्ति रामचंद्र से कुछ बातें करने के बाद, रामचंद्र सहित सभी को लेकर कोटला हाउस की तरफ बढ़ा। गोलू ने गाड़ी से एक काला सूटकेस निकाला, जैसे उस सूटकेस को पकड़ना उसकी विशेष ज़िम्मेदारी थी।
“ ये सूटकेस वही है न, जो पुराने नोटों से भरा हुआ था? ” अमन ने पुष्टि करने के लिए पूछा।
“ हाँ, वही है। ” सागर ने उत्तर दिया। “ ज़रा ध्यान से उन लोगों के चेहरे देखिए, जैसे इस घर में पहली बार आ रहे हों। हमारे साथ घटी घटना का उनके चेहरे पर भान तक नहीं है। ”
“ अजीब बात है! जब हम लोग इस घर में आए थे तब ये लोग पहले से ही अंदर मोजूद थे, लेकिन अब हमारे सामने इनका अंदर आना, ऐसा कैसे हो सकता है? ” अमन बोला।
“ आ!…” अमन के पेट में अचानक दर्द कि एक लहर उठी और वह उस पीढ़ा से परेशान हो उठा।
“ आप ठीक तो हैं न! ” सागर ने चिंतित स्वर में पूछा।
“ मैं ठीक हूँ, लेकिन मेरी जगह अगर तुम होते तो शायद बात बिगड़ सकती थी। मुझे लगता है हमें जल्द से जल्द उन बच्चों को लेकर यहाँ से बाहर निकलने का रास्ता ढूँढ़ना चाहिए। ” अमन ने साहसी होने का दिखावा करते हुए कहा।
अमन के कपड़े घाव के आस पास खून से भीग चुके थे, उसका घाव उसके चेहरे पर पीढ़ा भरे भाव उत्पन कर रहा था। उसे उपचार की आवश्यकता थी।
“ मैं देखता हूँ। ” सागर ने अमन का कष्ट समझते हुए सहमति में अपना सिर हिलाया, परंतु अब समस्या यह थी कि उस खूंखार शेर को देखने के पश्चात वे दोनों किसी भी द्वार को खोलने से घबरा रहे थे। उस स्थान से बाहर किसी न किसी द्वार से ही निकला जा सकता था, किंतु द्वार के पीछे कौन सा संकट होगा, यही अनिश्चितता उन्हें डरा रही थी।
“ आपकी बँदूक कहाँ है? ” किसी भी संकट में पड़ सकने की संभावना के डर से सागर ने अमन से पूछा।
“ वो उस आदमी से हाथापाई में हाॅल में गिर गई। ” अमन ने अपनी दृष्टि चुराते हुए उत्तर दिया क्योंकि वैसे भी उसकी बंदूक बिना गोलियों के किसी काम की नहीं थी, किन्तु यह बात कोई भी नहीं जानता था।
“ यह लीजिए। ” सागर ने अपनी बंदूक अमन को देते हुए कहा। अमन के मुख पर प्रश्नात्मक भाव साफ चमक रहे थे, इसलिए अमन कोई प्रश्न पूछता इससे पहले सागर ने अपना उत्तर देना प्रारंभ कर दिया, “ मेरे लिए पशु हत्या एक पाप है, इसलिए दरवाज़े के उस पार अगर कोई खूंखार जानवर हुआ तो मैं उसे मार नहीं पाऊँगा। इसलिए अगर आप पर कोई संकट आए तो आप इससे अपनी सुरक्षा कर सकते हैं। ”
सागर ने कुछ समय बाद साहस जुटाकर उस द्वार को खोलने का निर्णय लिया, जिस द्वार से वह बच्चा अपनी जान बचाकर भागा था, जिसे वो दाढ़ी वाला आदमी जान से मारने की कोशिश कर रहा था। क्योंकि दूसरे द्वार के पीछे तो उन्हें उस खूंखार शेर के होने का डर था।
“ रुको! ” सागर जैसे ही दरवाज़ा खोलने को हुआ, अमन ने उसे रोक दिया। बोला, “ तुम क्या मेरे लिए कोई बलिदान देने जा रहे हो, जो यह बंदूक मैं तुम्हारी याद में अपने पास रखूँ। यह लो अपनी बंदूक। लगता है तुमने ध्यान नहीं दिया, दरवाज़ा बंद करने पर हर बार जगह बदल जाती है इसलिए खतरा सामने देखते दरवाज़ा बंद कर दो बस इतना ही करना है, इसके लिए किसी को मारने की जरुरत नहीं है। ”
अमन ने बड़ी सावधानी से द्वार खोला, द्वार खुलते ही उसे जो दृश्य दिखे उनसे ऐसा लग रहा था, मानो वह अकस्मात किसी अस्पताल में पहुँच गया हो।
अमन और सागर के सामने एक मिनी हॉस्पिटल था, जो कोटला हाउस का एक छोटा सा अस्पताल था। उस कक्ष में एक तरफ दवाइयों से भरा हुआ काउंटर था, तो दूसरी तरफ रोगियों के उपचार के लिए दो बेड पड़े हुए थे, उन दोनों बेड के आसपास ऑपरेशन करने के सारे संयंत्र और तकनीक सुव्यवस्थित रुप से उपस्थित थी। काउंटर पर बड़े-बड़े शब्दों में लिखा था ‘ मिनी हॉस्पिटल ’, अमन और सागर उस मिनी हॉस्पिटल को देखकर भौंचक्के रह गए।
सागर ने उस काउंटर पर दो वर्ष कि एक छोटी सी बच्ची को बैठे देखा, जो वहाँ बैठी अकेली खेल रही थी। वह उस बच्ची को देखकर यह सोच कर हैरान हो रहा था कि वह बच्ची उस स्थान पर आई कहाँ से थी क्योंकि उन्हें उस कक्ष में उस बच्ची के सिवा अन्य कोई नहीं दिखाई दिया। सागर की भी दो वर्ष की एक प्यारी सी पुत्री थी, जिसे वह अपने प्राणों से भी अधिक प्रेम करता था। उस बच्ची की निश्चल मुस्कान देखकर सागर के भीतर बैठा पिता मानो सम्मोहित सा हो गया था। उस बच्ची को देख उसके चेहरे पर भी मुस्कान कब खिल गई उसे पता ही नहीं चला और वह उस बच्ची को अपने प्रेम भरे स्वर के साथ खिलाने लगा। दूसरी ओर अमन बड़ी गहनता से उस कक्ष को निहार रहा था। उस घर को लेकर कई प्रश्नों का बवंडर उसके मन में घूम रहा था।
सागर से उस बच्ची का सम्मोहन तब टूटा जब अचानक हरे पर्दे के पीछे से एक व्यक्ति सागर और अमन की आहट सुनकर बाहर आया, जिसे देखते ही वे दोनों सतर्क हो गए। उन दोनों को देखते ही वह व्यक्ति ऐसे घबरा गया जैसे उसकी कोई चोरी पकड़ी गई हो। उसकी वेशभूषा से वह डॉक्टर लग रहा था, उस हरे परदे के पीछे एक बेड था, जिसपर एक महिला बेहोश पड़ी थी, जो उस बच्ची कि माँ थी।
“ क्या आप डॉक्टर हैं! ” सागर ने विस्मय से पूछा, क्योंकि उस विचित्र घर में एक डॉक्टर की उपस्थिति संदेहास्पद थी। सागर के प्रश्न के उत्तर में उस व्यक्ति ने अपना सिर हिलाया।
“ पर आप इस घर में कर क्या रहे हैं? ” अमन ने अपनी जिज्ञासा शांत करने का माध्यम समझते हुए उस डॉक्टर से पूछा।
उस घर में एक मिनी हॉस्पिटल था, जो एक बहुत बड़े आश्चर्य की बात थी, इसलिए सागर भी उस डॉक्टर से पूछना तो बहुत कुछ चाहता था, लेकिन उसने अपने साथी अमन की गंभीर चोट के कारण अपनी सभी जिज्ञासाओं को कुछ देर के लिए अपने भीतर दबाए रखा और अमन के लिए एक पिता कि तरह उसकी समस्या को डॉक्टर को बताया, “ देखिए हमारे सर को चोट लगी है, किसी ने चाकू से घायल कर दिया है, इसलिए इन्हें इलाज कि सख्त ज़रूरत है। ”
सागर की बात सुनने के बाद, अमन पर नज़र डालते हुए, डॉक्टर स्वयं से बड़बड़ाया, “ एक ही आदमी हो सकता है। ”
“ आप जानते हैं उसे? ” सागर ने डॉक्टर से पूछा। यही प्रश्न अमन स्वयं पूछना चाहता था, क्योंकि उस आदमी के बारे में जानने की जिज्ञासा सागर से अधिक अमन के मन में थी, लेकिन उससे पहले उस आदमी के बारे में सागर ने पूछ लिया।
“ चलो फटाफट बेड पर लेट जाओ। ” डॉक्टर ने झटके से अमन को उस कक्ष में एक खाली पड़े बेड पर तुरंत लेट जाने के लिए कहा।
“ पहले सागर ने जो पूछा है उसका उत्तर दो। ” अमन ने कठोरता से कहा।
“ उसका नाम _____ है और तुम्हारा अमन और तुम्हारा सागर। मैं इस घर में सबको जानता हूँ। ”
“ आप हमें जानते हैं, लेकिन हम तो आप से पहले कभी नहीं मिले? ” सागर ने शीग्रता से पूछा।
“ कुछ मुझे भी पूछने दोगे या नहीं। ” अमन झुंझला कर बोला।
“ तुम्हारे सारे प्रश्नों के उत्तर तुम्हें धीरे-धीरे ही मिलेंगे। यह जगह ही कुछ ऐसी है, जो एक बार इस दलदल में गिरता है वो फिर कभी बाहर नहीं निकल पाता। ”
“ मतलब क्या है आपका? ” सागर ने चिंतित होकर पूछा, उसके उदर में एक अजीब सी घबराहट उत्पन्न हुई, जिसे शांत करने के लिए वह मन ही मन ईश्वर का स्मरण कर रहा था। अमन ने पुनः कनखियों से सागर को इसलिए घूरा क्योंकि वह अमन को प्रश्न पूछने का अवसर ही नहीं दे रहा था।
“ मतलब यही है कि यह घर एक नर्क है और यहाँ फसना एक अभिशाप। हम सब इस घर में हमेशा हमेशा के लिए कैद हो चुके हैं इसलिए यहाँ से बाहर निकलने के बारे में सोचना भी बेवकूफी होगी। ” डॉक्टर की बातों ने उन दोनों को डरा कर रख दिया।
“ अगर... ” अमन कुछ पूछने को हुआ किंतु पुनः उसकी बात काटते हुए सागर ने तीव्रता से घबराते हुए पूछा, “ आप कहना चाहते हैं कि इस घर से बाहर निकलने का कोई तरीका नहीं है। क्या हम लोग इस घर से कभी बाहर नहीं निकल पाएंगे? ”
“ अगर यहाँ से बाहर निकलने का कोई तरीका होता, तो मैं इस मनहूस घर में एक पल भी नहीं रुकता। ” डॉक्टर ने सागर की सभी आशाओं को तोड़ते हुए कहा।
“ नहीं-नहीं डॉक्टर! ऐसा नहीं हो सकता! बाहर मेरा पूरा एक परिवार है, अगर मैं बाहर नहीं गया तो उनका ध्यान कौन रखेगा। मेरी पत्नी है, जो मुझे जान से भी ज्यादा प्यार करती है, एक छोटी सी बच्ची है, बिल्कुल इतनी ही बड़ी ( सागर ने उस बच्ची की ओर इशारा करते हुए कहा, जो मिनी हॉस्पिटल के काउंटर पर बैठी हुई थी। ) इस घर से बाहर निकलने का कोई तो तरीका होगा, कुछ तो होगा ऐसा जो आप जानते हों? प्लीज! हमें बताइए, डॉक्टर! प्लीज! ”
“ अगर आप इस घर के बारे में इतना कुछ जानते हैं तो आप यहाँ क्या कर रहे हैं, मेरा मतलब है, आप यहाँ कैसे आए? ” अमन ने भी अपना प्रश्न पूछा। उसके अनुसार वह सागर को प्रश्न पूछने का बहुत समय दे चुका था, इसलिए अब उसकी बारी थी।
“ मैं यहाँ अपनी मर्ज़ी से नहीं आया, मुझे उस बुड्ढे ने यहाँ जबरदस्ती कैद कर रखा है। सिर्फ वो बुड्ढा ही है जो हमें इस घर से बाहर ले जा सकता है, लेकिन वो ऐसा करेगा नहीं। अब यह मत पूछना कि वो कौन है और यह सब कर क्यों रहा है, क्योंकि इसके बारे में मैं भी नहीं जानता। ”
“ पर हम तो यहाँ अपनी मर्ज़ी से आए हैं। ” अमन ने यह विचार करते हुए बोला कि संभवतः अपनी मर्जी से आने वाले अपनी मर्जी से जा भी सकते हों।
डॉक्टर हल्की मुस्कुराहट के साथ हंसते हुए बोला, “ आए अपनी मर्ज़ी से हो, पर जाओगे उसकी मर्ज़ी से। ”
“ क्या वो कोई देवता है, जो उसके पास ऐसी विचित्र शक्तियाँ हैं? ” सागर ने पूछा।
“ मैं जानता हूँ की तुम एक आस्तिक हो, लेकिन देवताओं जैसी कोई चीज़ नहीं होती। ”
“ अगर ऐसा नहीं है तो उसके पास ऐसी मायावी शक्तियाँ आईं कहाँ से? ”
“ देखो, सवाल जवाब बहुत हो गए। अब फटाफट बेड पर लेट जाओ और मुझे अपना काम करने दो। ” डॉक्टर ने अमन से कहा।
“ इस काम के बदले में वो आपको देता क्या है? ”
“ आजादी। ”
“ मतलब? ”
“ मुझे यहाँ कैद करते वक्त उसने कहा था कि जब वह मेरे काम से खुश हो जाएगा तो वो मुझे आज़ाद कर देगा। ”
अमन को अब तक उस डाॅक्टर कि बातों पर पूर्ण विश्वास हो चुका था, लेकिन उस डॉक्टर पर नहीं। इसलिए वह शीघ्रता दिखाते हुए बेड पर लेट गया और उस डॉक्टर ने बिना एक क्षण भी नष्ट किए उसका उपचार करना शुरू कर दिया, उस डॉक्टर ने अपनी दवाइयों के स्टोर से एक इंजेक्शन निकाला और अमन को लगाने के लिए आगे बढ़ा।
“ यह क्या है? ” अमन ने संदेह से पूछा।
“ पैन किलर, इससे तुम्हें दर्द नहीं होगा। ” डॉक्टर ने जवाब दिया।
“ मुझे नहीं लगता कि मुझे पैन किलर की ज़रुरत है। ” इतना के बाद भी अमन ने अपना सिर हिला कर उसे उस इंजेक्शन को लगाने की अनुमति दे दी।
“ सागर तुम ध्यान से देखते रहना, कहीं यह डॉक्टर मुझे बेहोश करके, मेरी किडनी न पार कर ले। ” अमन अविश्वास से बोला।
“ ऐसा कुछ भी नहीं होगा, आप बस चुपचाप लेटे रहिए, ज्यादा बोलने से ज्यादा खून बहेगा। ” डॉक्टर ने उसे डाँटते हुए शांत रहने की सलाह दी।
“ क्या यह बच्ची आपकी है डॉक्टर? ” सागर ने उस बच्ची को देखते हुए पूछा, जो उसे देख-देख कर मुस्कुरा रही थी। उस बच्ची की नि:स्वार्थ और निश्छल मुस्कान देखकर, सागर का मन प्रफुल्लित हो उठा। अचानक उसे अपनी बेटी की याद आ गई, वह भी दो वर्ष कि ही थी, उसने बड़े प्रेम से अपनी बेटी का नाम निशा रखा था।
“ नहीं! मेरे नसीब में बच्चे कहाँ। यह बच्ची इस औरत की है, जो बगल वाले बेड पर है। ” डॉक्टर ने उत्तर दिया।
“ क्या! पर आप सब लोग इस घर में आए कहाँ से और आप इस घर में कब से हैं? ” सागर ने हैरानी से पूछा। “ क्योंकि बाहर सबको लगता है यह घर भूतिया है और यह पूरा घर खाली पड़ा है। कोई सोच भी नहीं सकता, इस घर में भूत नहीं बल्कि जिंदा लोग रहते हैं। ”
“ लगता है आपको अभी इस घर में ज्यादा वक्त नहीं हुआ, इसलिए इतना चौंक रहे हैं। ख़ैर… घाव इतना गहरा नहीं है, लेकिन अगर जैकेट नहीं पहनी होती तो गहरा हो सकता था, घाव पर टाँके लगाने पड़ेंगे। ” डॉक्टर ने कहा।
“ जो भी करना है, जल्दी करो। ” अमन ने बोला।
डॉक्टर अमन के घाव पर टांके लगाने की तैयारी कर रहा था और इधर सागर व्याकुलता से खड़ा यह विचार कर रहा था की उस डॉक्टर के बातों का तात्पर्य क्या था और वह कैसे जानता था कि उन्हें अभी उस घर में अधिक समय नहीं हुआ था।
“ डॉक्टर आपकी बातें मुझे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही हैं, ठीक से बताइए आप कहना क्या चाहते हैं? ” सागर ने धैर्य रखते हुए पुनः पूछा।
उस काउंटर पर दृष्टि पड़ते ही सागर हैरान रह गया और आश्चर्य से पूछा, “ वह बच्ची कहाँ गई? ”
“ आखिर वह बच्ची गई कहाँ? ” डॉक्टर भी हैरान रह गया, उन्हें कानों - कान खबर ही नहीं हुई और मात्र दो वर्ष कि एक छोटी सी बच्ची उस कक्ष से गायब हो गई।
डॉक्टर अब तक अमन के पेट पर लगे घाव पर टांके मार चुका था। अब उसकी सबसे बड़ी चिंता यह थी उस कक्ष से दो वर्ष की एक बच्ची गायब हो चुकी थी जिसकी माँ इस वाक्या से अनभिज्ञ बेड पर बेहोश पड़ी थी, जिसे बेहोश करने वाला अन्य कोई नहीं बल्कि वह डॉक्टर ही था।
डॉक्टर ने बच्ची को यहाँ-वहाँ ढूँढ़ना शुरू कर दिया, वह कभी बेड के नीचे देखता तो कभी काउंटर के पीछे, लेकिन वह बच्ची उन्हें उस कक्ष में कहीं नहीं मिली।
डॉक्टर की हड़बड़ाहट को देखते हुए अमन बोला, “ डॉक्टर! वह एक बच्ची है, कोई सुई नहीं। अगर वह इस कमरे में होती तो अब तक मिल चुकी होती है। ”
“ लेकिन एक 2 साल की बच्ची दरवाज़ा खोल कर इस कमरे से बाहर भी तो नहीं जा सकती और अगर ऐसा हुआ है तो अब उस बच्ची को ढूँढना घास में सुई ढूँढने के बराबर है। ” डॉक्टर भड़कते हुए बोला, उसके भड़के हुए रूप को देखकर अमन और सागर चुपचाप उसे देखते रहे।
डॉक्टर उस कक्ष में यह सोचते हुए यहाँ से वहाँ चक्कर काटने लगा कि वह बच्ची अचानक गायब कहाँ हो गई और अब उसकी माँ को होश आने के बाद, वह उसे क्या उत्तर देगा?
अब तक तो अमन और सागर भी उस घर कि माया से परिचित हो चुके थे। उस घर में एक बार किसी का साथ छूटन के बाद, उसका पुनः मिलना नियति के हाथ में था।
“ क्या सोच रहे हो डॉक्टर और अब उस बच्ची को कैसे ढूँढ़ा जाएगा? ” अमन ने इधर-उधर चक्कर काट रहे डॉक्टर से पूछा।
“ मैंने कहा, चुपचाप लेटे रहो। ” डॉक्टर अमन से भड़कते हुए बोला। उसके चेहरे से स्पष्ट था की उसकी कोई योजना विफल हो चुकी थी।
सागर ने उससे कहा था कि कोटला हाउस में एक बार जो अंदर जाता है, वो कभी लौट कर बाहर नहीं आता। संभवत: अब इस कथनी पर उसे विश्वास हो रहा था, अगर वह घर कोई साधारण घर होता तो उसका साथी सागर और वह बच्चा यों ही एकाएक गायब न हुए होते।
उस महिला का नाम अर्पिता था। उसे कोटला हाउस में आए एक महीना हो चुका था। वह अमन और सागर को अच्छे से जानती थी।
लगभग एक माह पहले, अर्पिता अपने पति और अपनी बेटी पीहू के साथ उत्तराखंड से पंजाब जा रही थी, किंतु कोटला हाउस के रास्ते से गुजरते समय उनकी गाड़ी ठीक कोटला हाउस के सामने खराब हो गई थी। आसपास मदद ढूँढने के स्थान पर, उसने कोटला हाउस को ढूँढ निकाला।
डॉक्टर की बात सुनकर अमन को भी
एक तगड़ा झटका लगा, उसकी बात का अर्थ समझने के लिए वह उससे कुछ पूछना तो चाहता था लेकिन डॉक्टर उसके घाव पर टांके लगा रहा था, जिसके कारण वह चुप्पी साधे लेटा रहा।
“ सिर्फ एक तरीका है और वो है अपनी जान ले लेना। ”
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